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आख़िरी लफ़्ज़ | शाही शायरी
aaKHiri lafz

नज़्म

आख़िरी लफ़्ज़

फ़ातिमा हसन

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पत्थर जिस्म के अंदर टूटे
पानी रूह में आग जगाए

कैसी मोहब्बत कैसी नफ़रत
सारी बातें

लफ़्ज़ की रेत से बने घरौंदे हैं
लफ़्ज़ों के इस खेल में

सब कुछ खोने से अच्छा है
पिछले ज़ख़्म उधेड़ो और

रिसते ख़ून से अपना नाम लिखो