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आज जाने की ज़िद न करो | शाही शायरी
aaj jaane ki zid na karo

नज़्म

आज जाने की ज़िद न करो

फ़य्याज़ हाशमी

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आज जाने की ज़िद न करो
यूँ ही पहलू में बैठे रहो

आज जाने की ज़िद न करो
हाए मर जाएँगे, हम तो लुट जाएँगे

ऐसी बातें किया न करो
आज जाने की ज़िद न करो

तुम ही सोचो ज़रा क्यूँ न रोकें तुम्हें
जान जाती है जब उठ के जाते हो तुम

तुम को अपनी क़सम जान-ए-जाँ
बात इतनी मिरी मान लो

आज जाने की ज़िद न करो
यूँ ही पहलू में बैठे रहो

आज जाने की ज़िद न करो
वक़्त की क़ैद में ज़िंदगी है मगर

चंद घड़ियाँ यही हैं जो आज़ाद हैं
इन को खो कर मिरी जान-ए-जाँ

उम्र-भर ना तरसते रहो
आज जाने की ज़िद न करो

कितना मासूम रंगीन है ये समाँ
हुस्न और इश्क़ की आज मेराज है

कल की किस को ख़बर जान-ए-जाँ
रोक लो आज की रात को

आज जाने की ज़िद न करो
यूँही पहलू में बैठे रहो

आज जाने की ज़िद न करो