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आईने से झाँकती नज़्म | शाही शायरी
aaine se jhankti nazm

नज़्म

आईने से झाँकती नज़्म

फरीहा नक़वी

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मेरे बालों में चाँदी उतर आई है....
प्यारे बाबा! में कुछ बाल तोड़ूँ?

कि हम उन को बेचेंगे....
फिर जो रूपे होंगे,

उन से
जहेज़ और शादी की तय्यारियाँ हो सकेंगी....

मैं यूँ आप का रोज़ बुझता हुआ,
और मुरझाया चेहरा नहीं देख पाती....

सुनें! मेरे बालों में चाँदी उतर आई है