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एहसास-ए-जुर्म | शाही शायरी
ehsas-e-jurm

नज़्म

एहसास-ए-जुर्म

मुश्ताक़ अली शाहिद

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वो पहला शख़्स
जिस ने

सोच के ठहरे हुए पानी में
पहली कंकरी फेंकी

वो पहला फ़लसफ़ी
जिस ने

दरीचे ज़ेहन के खोले
वो शाइ'र

जिस ने पहले शे'र की तख़्लीक़
की होगी

वो सब के सब अगर
इस दौर में

फिर जन्म ले लें
तो उन को इर्तिकाब-ए-जुर्म का एहसास

फिर से मार डालेगा