तुम्हें इक बात कहनी थी
इजाज़त हो तो कह दूँ मैं
ये भीगा भीगा सा मौसम
ये तितली फूल और शबनम
चमकते चाँद की बातें
ये बूँदें और बरसातें
ये काली रात का आँचल
हवा में नाचते बादल
धड़कते मौसमों का दिल
महकती ख़ुश्बूओं का दिल
ये सब जितने नज़ारे हैं
कहो किस के इशारे हैं
सभी बातें सुनी तुम ने
फिर आँखें फेर लीं तुम ने
मैं तब जा कर कहीं समझा
कि तुम ने कुछ नहीं समझा
मैं क़िस्सा मुख़्तसर कर के
ज़रा नीची नज़र कर के
ये कहता हूँ अभी तुम से
मोहब्बत हो गई तुम से
नज़्म
मोहब्बत हो गई तुम से
ज़ुबैर अली ताबिश