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दुआ | शाही शायरी
dua

नज़्म

दुआ

वहीद क़ुरैशी

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दुआ
दूर तक एक ख़ला

लब पे है हर्फ़-ए-दुआ
दश्त-ए-महरूम-ए-सदा

कोई आवाज़ न रंग
कोई ख़्वाहिश न उमंग

दिल में इक सर्द सी जंग
आँख से अश्क रवाँ

कशिश-ए-बाग़-ए-जिनाँ
मेरी औक़ात कहाँ

अपनी आवाज़ का डर
शोला-ए-साज़ का डर

दिल के हर राज़ का डर
हर तरफ़ जल्वा-फ़गन

एक ख़ामोश किरन
हर फ़शाँ रूह कि तन

आज कैसे हो बयाँ
तुझ पे हर बात अयाँ

तू क़रीब-ए-रग-ए-जाँ