दुआ
दूर तक एक ख़ला
लब पे है हर्फ़-ए-दुआ
दश्त-ए-महरूम-ए-सदा
कोई आवाज़ न रंग
कोई ख़्वाहिश न उमंग
दिल में इक सर्द सी जंग
आँख से अश्क रवाँ
कशिश-ए-बाग़-ए-जिनाँ
मेरी औक़ात कहाँ
अपनी आवाज़ का डर
शोला-ए-साज़ का डर
दिल के हर राज़ का डर
हर तरफ़ जल्वा-फ़गन
एक ख़ामोश किरन
हर फ़शाँ रूह कि तन
आज कैसे हो बयाँ
तुझ पे हर बात अयाँ
तू क़रीब-ए-रग-ए-जाँ
नज़्म
दुआ
वहीद क़ुरैशी