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ज़िंदगी तुझ से प्यार क्या करते | शाही शायरी
zindagi tujhse pyar kya karte

ग़ज़ल

ज़िंदगी तुझ से प्यार क्या करते

सिरज़ अालम ज़ख़मी

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ज़िंदगी तुझ से प्यार क्या करते
तुझ पे हम जाँ निसार क्या करते

उम्र गुज़री है ख़ुद से लड़ते हुए
ग़ैर का ए'तिबार क्या करते

वो घड़ी हम ने जो जिया ही नहीं
ज़िंदगी में शुमार क्या करते

अब मोहब्बत में जी नहीं लगता
इक ख़ता बार बार क्या करते

उस ने देखा था ऐसी नज़रों से
मर न जाते तो यार क्या करते

मुफ़्लिसी हम ने ख़ुद-कुशी कर ली
मौत का इंतिज़ार क्या करते