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ज़िंदगी सादा वरक़ पर इक हसीं तहरीर है | शाही शायरी
zindagi sada waraq par ek hasin tahrir hai

ग़ज़ल

ज़िंदगी सादा वरक़ पर इक हसीं तहरीर है

फ़ातिमा वसीया जायसी

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ज़िंदगी सादा वरक़ पर इक हसीं तहरीर है
और ये दुनिया उसी तहरीर की तफ़्सीर है

हक़-ब-जानिब सिर्फ़ हम हैं दूसरा कोई नहीं
ख़ुद-पसंदी की यही अदना सी इक तस्वीर है

ये भी अंदाज़-ए-तग़ाफ़ुल और तलव्वुन की दलील
जो बहुत प्यारा था अब वो लाएक़-ए-ताज़ीर है

राहबर मिलते हैं लेकिन राह दिखलाते नहीं
मंज़िलों पर जो पहुँच जाए वही रह-गीर है

ज़ूद-रंजी भी 'वासिय्या' एक आदत ही सही
ये तो बतला दें कि इस में क्या मिरी तक़्सीर है