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ज़िंदगी क्या है इक कहानी है | शाही शायरी
zindagi kya hai ek kahani hai

ग़ज़ल

ज़िंदगी क्या है इक कहानी है

जौन एलिया

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ज़िंदगी क्या है इक कहानी है
ये कहानी नहीं सुनानी है

है ख़ुदा भी अजीब या'नी जो
न ज़मीनी न आसमानी है

है मिरे शौक़-ए-वस्ल को ये गिला
उस का पहलू सरा-ए-फ़ानी है

अपनी तामीर-ए-जान-ओ-दिल के लिए
अपनी बुनियाद हम को ढानी है

ये है लम्हों का एक शहर-ए-अज़ल
याँ की हर बात ना-गहानी है

चलिए ऐ जान-ए-शाम आज तुम्हें
शम्अ इक क़ब्र पर जलानी है

रंग की अपनी बात है वर्ना
आख़िरश ख़ून भी तो पानी है

इक अबस का वजूद है जिस से
ज़िंदगी को मुराद पानी है

शाम है और सहन में दिल के
इक अजब हुज़न-ए-आसमानी है