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ज़िंदगी इन दिनों उदास कहाँ | शाही शायरी
zindagi in dinon udas kahan

ग़ज़ल

ज़िंदगी इन दिनों उदास कहाँ

रमेश कँवल

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ज़िंदगी इन दिनों उदास कहाँ
तुझ से मिलने की दिल में आस कहाँ

मौसमों में गुलों की बास कहाँ
मुफ़्लिसी मेरी ख़ुश-लिबास कहाँ

लॉन से फूल पतियाँ ओझल
तेरी यादों की नर्म घास कहाँ

रतजगा फूल तारे चाँद हुआ
नींद बिस्तर के आस-पास कहाँ