ज़िंदगी छोटी है सामान बहुत
और दिल के भी हैं अरमान बहुत
क्या हक़ीक़त है उसे क्या मा'लूम
ख़ुश-गुमाँ रहता है नादान बहुत
हर क़दम पर हैं सनम-ख़ाने कई
आज ख़तरे में है ईमान बहुत
दोस्तो कुछ तो करो उस के लिए
जाने क्यूँ दिल है परेशान बहुत
मुतमइन है जो मुक़द्दर से 'मजीद'
है ये अल्लाह का एहसान बहुत
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ग़ज़ल
ज़िंदगी छोटी है सामान बहुत
अब्दुल मजीद ख़ाँ मजीद