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ज़िंदगी चैन पा नहीं सकती | शाही शायरी
zindagi chain pa nahin sakti

ग़ज़ल

ज़िंदगी चैन पा नहीं सकती

जैमिनी सरशार

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ज़िंदगी चैन पा नहीं सकती
मौत को मौत आ नहीं सकती

फूँक सकती है बर्क़ गुलशन को
फूल इस में खिला नहीं सकती

तोड़ देती है मौत साज़-ए-हयात
लेकिन इस को बजा नहीं सकती

तुम न चाहो तो ये नसीम-ए-बहार
गुल चमन में खिला नहीं सकती

ज़िंदगी लाख ताबदार सही
मौत की ताब ला नहीं सकती

हम पे हँसना तो उस को आता है
हम को दुनिया हँसा नहीं सकती

हम से इंसाँ कहाँ मिलेंगे उसे
हम को दुनिया भुला नहीं सकती