ज़ीस्त मिलती है उम्र-ए-फ़ानी से
माँग कुछ अपनी ज़िंदगानी से
इक नज़र का फ़साना है दुनिया
सौ कहानी है इक कहानी से
बात कह दी तो बात कुछ न रही
ग़म हुआ ग़म की तर्जुमानी से
सुब्ह होती नहीं मोहब्बत की
रात कटती नहीं जवानी से
फूल चुनते हैं अहल-ए-बज़्म 'नुशूर'
मेरी हर ताज़ा गुल-फ़िशानी से
ग़ज़ल
ज़ीस्त मिलती है उम्र-ए-फ़ानी से
नुशूर वाहिदी