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ज़रा सी देर में कश्कोल भरने वाला था | शाही शायरी
zara si der mein kashkol bharne wala tha

ग़ज़ल

ज़रा सी देर में कश्कोल भरने वाला था

अज़लान शाह

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ज़रा सी देर में कश्कोल भरने वाला था
मिरा ख़ुदा मुझे ख़ुश-हाल करने वाला था

तू आ गया है तो अब याद भी नहीं मुझ को
ये इश्क़ मेरा बुरा हाल करने वाला था

ये एक और ही उफ़्ताद पड़ने वाली थी
तू दिल में रह के भी दिल से उतरने वाला था

न जाने कौन सी नेकी बचा गई मुझ को
यक़ीन मान मैं हद से गुज़रने वाला था