यूँ तो शुमार उस का मिरे भाइयों में था
मैं था लहू लहू वो तमाशाइयों में था
चेहरे से मैं ने ग़म की लकीरें मिटा तो दीं
लेकिन जो कर्ब रूह की गहराइयों में था
वो हौसला कि फेर दे जो आँधियों के रुख़
वो हौसला अभी मिरी पस्पाइयों में था
देता है रोज़ इक नया इल्ज़ाम आज-कल
पहले वो शख़्स भी मिरे शैदाइयों में था
कहते हैं एक मैं न था बदनाम शहर में
चर्चा तिरे भी नाम का रुस्वाइयों में था
'इरफ़ाँ' वो कम-नसीब कि था जान-ए-अंजुमन
यारों के बीच रह के भी तन्हाइयों में था
ग़ज़ल
यूँ तो शुमार उस का मिरे भाइयों में था
इरफ़ान वहीद