ये शहर शहर-ए-बला भी है कीना-साज़ के साथ
निकल चलो किसी महबूब-ए-दिल-नवाज़ के साथ
यही नवा-ए-अदम है यही नवाज़िश-ए-कुन
ख़ुशा हिकायत-ए-नै हर्फ़-ए-नै-नवाज़ के साथ
सू-ए-निगार-ओ-सू-ए-शहर-ए-ज़र-निगार चलें
क़लंदरान-ए-हवसनाक-ओ-पाक-बाज़ के साथ
सलाम हम-नफ़सो अल-फ़िराक़ हम-सफ़रो
सफ़र है दूर का वो भी रह-ए-दराज़ के साथ
ये ख़िर्क़ा-पोश फ़क़ीरान-ए-ख़ारिक़-उल-आदात
हमारे क़ाफ़िला-हा-ए-नियाज़-ओ-नाज़ के साथ
ये जंगलों की मसाफ़त ये नग़मा-ए-दफ़-ओ-चंग
ये वादियों में इक़ामत सुरूद-ओ-साज़ के साथ
वो वज्द-ओ-हाल का आलम वो रक़्स-ए-दरवेशाँ
शहान-ए-नाज़-ओ-गदायान-ए-बे-नियाज़ के साथ
ख़ुशा वो बांग-ए-अज़ाँ वो तराना-ए-नाक़ूस
वो बंदगी-ए-सनम बंदा-ए-नमाज़ के साथ
हर इक फ़क़ीर के लब पर ये नारा-ए-मस्तान
चले चलो अदब-ओ-इज़्ज़-ओ-इमतियाज़ के साथ
ग़ज़ल
ये शहर शहर-ए-बला भी है कीना-साज़ के साथ
रईस अमरोहवी