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ये ख़ुसरवी-ओ-शौकत-ए-शाहाना मुबारक | शाही शायरी
ye khusrawi-o-shaukat-e-shahana mubarak

ग़ज़ल

ये ख़ुसरवी-ओ-शौकत-ए-शाहाना मुबारक

बेदम शाह वारसी

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ये ख़ुसरवी-ओ-शौकत-ए-शाहाना मुबारक
ये क़स्र ये ख़ुद्दाम ये काशाना मुबारक

मस्तों को मुबारक दर-ए-मय-ख़ाना के सज्दे
मय-ख़ाना तुझे मुर्शिद-ए-मय-ख़ाना मुबारक

ऐ चश्म-ए-तमन्ना तिरी उम्मीद बर आए
उठता है नक़ाब-ए-रुख़-ए-जानाना मुबारक

बुलबुल को मुबारक हो हवा-ए-गुल-ओ-गुलशन
परवाने को सोज़-ए-दिल-ए-परवाना मुबारक

लो उठ गए सब जल्वा-गाह-ए-नाज़ के पर्दे
नज़्ज़ारा-ए-हुस्न-ए-रुख़-ए-जानाना मुबारक

सरमद को मुबारक हों मय-ए-साफ़ के साग़र
'बेदम' हमें दुर्द-ए-तह-ए-पैमाना मुबारक