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ये हसीन फ़ितरत के हुस्न का अनीला-पन | शाही शायरी
ye hasin fitrat ke husn ka anila-pan

ग़ज़ल

ये हसीन फ़ितरत के हुस्न का अनीला-पन

अख़्तर अंसारी

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ये हसीन फ़ितरत के हुस्न का अनीला-पन
ज़िंदगी के आरिज़ पर ये करीह पीला-पन

उफ़ ये बीती रातों की याद का कटीला-पन
आने वाली सुब्हों के ध्यान का रसीला-पन

खाएगा शिकस्त इक दिन सब्र-ओ-ज़ब्त-ए-पैहम से
दर्द का तसलसुल और जब्र का हटीला-पन

ज़िंदगी की मौसीक़ी किस सितम की शाकी है
हुज़्न है नवाओं में लय में है चटीला-पन