ये हसीन फ़ितरत के हुस्न का अनीला-पन
ज़िंदगी के आरिज़ पर ये करीह पीला-पन
उफ़ ये बीती रातों की याद का कटीला-पन
आने वाली सुब्हों के ध्यान का रसीला-पन
खाएगा शिकस्त इक दिन सब्र-ओ-ज़ब्त-ए-पैहम से
दर्द का तसलसुल और जब्र का हटीला-पन
ज़िंदगी की मौसीक़ी किस सितम की शाकी है
हुज़्न है नवाओं में लय में है चटीला-पन
ग़ज़ल
ये हसीन फ़ितरत के हुस्न का अनीला-पन
अख़्तर अंसारी