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ये फ़ना मेरी बक़ा हो जैसे | शाही शायरी
ye fana meri baqa ho jaise

ग़ज़ल

ये फ़ना मेरी बक़ा हो जैसे

सय्यदा नफ़ीस बानो शम्अ

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ये फ़ना मेरी बक़ा हो जैसे
तू ही चेहरे पे लिखा हो जैसे

तेरे होंटों पे तबस्सुम ऐसा
फूल सहरा में खिला हो जैसे

यूँ पुकारा है किसी ने मुझ को
नाम तेरा ही लिया हो जैसे

उस ने फेरी जो निगाहें तो लगा
शीशा पत्थर पे गिरा हो जैसे

हर तरफ़ लम्स है ज़िंदा उस का
घर में सदियों वो रहा हो जैसे

ज़हर महबूब के हाथों पा कर
यूँ पिया मैं ने दवा हो जैसे

वस्ल की शाम का इक इक लम्हा
मेरी मुट्ठी में दबा हो जैसे