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ये दस्त-ए-नाज़ में ख़त तर्जुमान किस का है | शाही शायरी
ye dast-e-naz mein KHat tarjuman kis ka hai

ग़ज़ल

ये दस्त-ए-नाज़ में ख़त तर्जुमान किस का है

शातिर हकीमी

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ये दस्त-ए-नाज़ में ख़त तर्जुमान किस का है
अगर नहीं है तुम्हारा बयान किस का है

बिसात-ए-अर्ज़ बसीत आसमान किस का है
हमारे दिल में निहाँ ये जहान किस का है

ये फूट फूट के रोते हैं क्यूँ दर-ओ-दीवार
मकीन कौन था इस में मकान किस का है

जहाँ तुम्हारे निशान-ए-क़दम नहीं मिलते
मिरा नहीं है अगर वो मकान किस का है

कली कली लब-ए-गोया शजर शजर ख़ामोश
ये दास्तान है किस की बयान किस का है

ये क्यूँ सलीब ओ सलासिल बनाए जाते हैं
तुम्हारे पेश-ए-नज़र इम्तिहान किस का है

न दुश्मनी की अलामत न दोस्ती का शुऊर
तिरे पड़ोस में 'शातिर' मकान किस का है