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यहाँ हर शख़्स हर पल हादसा होने से डरता है | शाही शायरी
yahan har shaKHs har pal hadsa hone se Darta hai

ग़ज़ल

यहाँ हर शख़्स हर पल हादसा होने से डरता है

राजेश रेड्डी

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यहाँ हर शख़्स हर पल हादसा होने से डरता है
खिलौना है जो मिट्टी का फ़ना होने से डरता है

मिरे दिल के किसी कोने में इक मासूम सा बच्चा
बड़ों की देख कर दुनिया बड़ा होने से डरता है

न बस में ज़िंदगी उस के न क़ाबू मौत पर उस का
मगर इंसान फिर भी कब ख़ुदा होने से डरता है

अजब ये ज़िंदगी की क़ैद है दुनिया का हर इंसाँ
रिहाई माँगता है और रिहा होने से डरता है