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यार है आइना है शाना है | शाही शायरी
yar hai aaina hai shana hai

ग़ज़ल

यार है आइना है शाना है

यगाना चंगेज़ी

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यार है आइना है शाना है
चश्म-ए-बद-दूर क्या ज़माना है

झाँकने ताकने का वक़्त गया
अब वो हम हैं न वो ज़माना है

वहशत-अंगेज़ है नसीम-ए-बहार
क्या जुनूँ-ख़ेज़ ये ज़माना है

साक़िया अर्श पर है अपना दिमाग़
सर है और तेरा आस्ताना है

दाग़-ए-हसरत से दिल हो मालामाल
यही दौलत यही ख़ज़ाना है

महशरिस्तान-ए-आरज़ू-ए-विसाल
दिल है क्या एक कार-ख़ाना है

लो बुझा चाहता है दिल का कँवल
ख़त्म अब इश्क़ का फ़साना है

क्या कहीं उड़ के जा नहीं सकते
वो चमन है वो आशियाना है

'यास' अब आप में न आएँगे
वस्ल इक मौत का बहाना है