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याद उसे इंतिहाई करते हैं | शाही शायरी
yaad use intihai karte hain

ग़ज़ल

याद उसे इंतिहाई करते हैं

जौन एलिया

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याद उसे इंतिहाई करते हैं
सो हम उस की बुराई करते हैं

पसंद आता है दिल से यूसुफ़ को
वो जो यूसुफ़ के भाई करते हैं

है बदन ख़्वाब-ए-वस्ल का दंगल
आओ ज़ोर-आज़माई करते हैं

उस को और ग़ैर को ख़बर ही नहीं
हम लगाई बुझाई करते हैं

हम अजब हैं कि उस की बाँहों में
शिकवा-ए-नारसाई करते हैं

हालत-ए-वस्ल में भी हम दोनों
लम्हा लम्हा जुदाई करते हैं

आप जो मेरी जाँ हैं मैं दिल हूँ
मुझ से कैसे जुदाई करते हैं

बा-वफ़ा एक दूसरे से मियाँ
हर-नफ़स बेवफ़ाई करते हैं

जो हैं सरहद के पार से आए
वो बहुत ख़ुद-सताई करते हैं

पल क़यामत के सूद-ख़्वार हैं 'जौन'
ये अबद की कमाई करते हैं