याद उसे इंतिहाई करते हैं
सो हम उस की बुराई करते हैं
पसंद आता है दिल से यूसुफ़ को
वो जो यूसुफ़ के भाई करते हैं
है बदन ख़्वाब-ए-वस्ल का दंगल
आओ ज़ोर-आज़माई करते हैं
उस को और ग़ैर को ख़बर ही नहीं
हम लगाई बुझाई करते हैं
हम अजब हैं कि उस की बाँहों में
शिकवा-ए-नारसाई करते हैं
हालत-ए-वस्ल में भी हम दोनों
लम्हा लम्हा जुदाई करते हैं
आप जो मेरी जाँ हैं मैं दिल हूँ
मुझ से कैसे जुदाई करते हैं
बा-वफ़ा एक दूसरे से मियाँ
हर-नफ़स बेवफ़ाई करते हैं
जो हैं सरहद के पार से आए
वो बहुत ख़ुद-सताई करते हैं
पल क़यामत के सूद-ख़्वार हैं 'जौन'
ये अबद की कमाई करते हैं

ग़ज़ल
याद उसे इंतिहाई करते हैं
जौन एलिया