याद तेरी याद है नाम-ए-ख़ुदा
वर्ना हम क्या और हमारी याद क्या
सद्र-आरा तो जहाँ हो सद्र है
आगरा क्या और इलाहाबाद क्या
मब्दा-ए-फ़य्याज़ के शागिर्द को
हाजत-ए-आमोज़िश उस्ताद क्या
इक कसौटी है तिरे किरदार की
मर्तबा क्या माल क्या औलाद क्या
ग़ज़ल
याद तेरी याद है नाम-ए-ख़ुदा
इस्माइल मेरठी