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वो नाज़नीं अदा में एजाज़ है सरापा | शाही शायरी
wo naznin ada mein ejaz hai sarapa

ग़ज़ल

वो नाज़नीं अदा में एजाज़ है सरापा

वली मोहम्मद वली

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वो नाज़नीं अदा में एजाज़ है सरापा
ख़ूबी में गुल-रुख़ाँ सूँ मुम्ताज़ है सरापा

ऐ शोख़ तुझ नयन में देखा निगाह कर कर
आशिक़ के मारने का अंदाज़ है सरापा

जग के अदा-शनासाँ है जिन की फ़िक्र आली
तुझ क़द कूँ देख बोले यू नाज़ है सरापा

क्यूँ हो सकें जगत के दिलबर तिरे बराबर
तू हुस्न हौर अदा में एजाज़ है सरापा

गाहे ऐ ईसवी-दम यक बात लुत्फ़ सूँ कर
जाँ-बख़्श मुझ को तेरा आवाज़ है सरापा

मुझ पर 'वली' हमेशा दिलदार मेहरबाँ है
हर-चंद हस्ब-ए-ज़ाहिर तन्नाज़ है सरापा