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वो लोग मेरे बहुत प्यार करने वाले थे | शाही शायरी
wo log mere bahut pyar karne wale the

ग़ज़ल

वो लोग मेरे बहुत प्यार करने वाले थे

जमाल एहसानी

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वो लोग मेरे बहुत प्यार करने वाले थे
गुज़र गए हैं जो मौसम गुज़रने वाले थे

नई रुतों में दुखों के भी सिलसिले हैं नए
वो ज़ख़्म ताज़ा हुए हैं जो भरने वाले थे

ये किस मक़ाम पे सूझी तुझे बिछड़ने की
कि अब तो जा के कहीं दिन सँवरने वाले थे

हज़ार मुझ से वो पैमान-ए-वस्ल करता रहा
पर उस के तौर-तरीक़े मुकरने वाले थे

तुम्हें तो फ़ख़्र था शीराज़ा-बंदी-ए-जाँ पर
हमारा क्या है कि हम तो बिखरने वाले थे

तमाम रात नहाया था शहर बारिश में
वो रंग उतर ही गए जो उतरने वाले थे

उस एक छोटे से क़स्बे पे रेल ठहरी नहीं
वहाँ भी चंद मुसाफ़िर उतरने वाले थे