वो किसी भी अक्स-ए-जमाल में नहीं आएगा
वो जवाब है तो सवाल में नहीं आएगा
नहीं आएगा वो किसी भी हर्फ़ ओ बयान में
वो किसी नज़ीर-ओ-मिसाल में नहीं आएगा
उसे ढालना है ख़याल में किसी और ढब
वो शबाहत-ओ-ख़द-ओ-ख़ाल में नहीं आएगा
वो जो शहसवार है तेग़-ज़न रह-ए-ज़िंदगी
मिरे साथ वक़्त-ए-ज़वाल में नहीं आएगा
यहाँ कौन था जो सलामती से गुज़र गया
यहाँ कौन है जो वबाल में नहीं आएगा
उसे लाऊँगा मैं सुकूत-ए-हर्फ़-ओ-सदा में भी
वो सुख़न कभी जो सवाल में नहीं आएगा
जो हैं मुंतज़िर बड़ी देर से उन्हें क्या ख़बर
नहीं आएगा किसी हाल में नहीं आएगा

ग़ज़ल
वो किसी भी अक्स-ए-जमाल में नहीं आएगा
नून मीम दनिश