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वो किसी भी अक्स-ए-जमाल में नहीं आएगा | शाही शायरी
wo kisi bhi aks-e-jamal mein nahin aaega

ग़ज़ल

वो किसी भी अक्स-ए-जमाल में नहीं आएगा

नून मीम दनिश

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वो किसी भी अक्स-ए-जमाल में नहीं आएगा
वो जवाब है तो सवाल में नहीं आएगा

नहीं आएगा वो किसी भी हर्फ़ ओ बयान में
वो किसी नज़ीर-ओ-मिसाल में नहीं आएगा

उसे ढालना है ख़याल में किसी और ढब
वो शबाहत-ओ-ख़द-ओ-ख़ाल में नहीं आएगा

वो जो शहसवार है तेग़-ज़न रह-ए-ज़िंदगी
मिरे साथ वक़्त-ए-ज़वाल में नहीं आएगा

यहाँ कौन था जो सलामती से गुज़र गया
यहाँ कौन है जो वबाल में नहीं आएगा

उसे लाऊँगा मैं सुकूत-ए-हर्फ़-ओ-सदा में भी
वो सुख़न कभी जो सवाल में नहीं आएगा

जो हैं मुंतज़िर बड़ी देर से उन्हें क्या ख़बर
नहीं आएगा किसी हाल में नहीं आएगा