वो कब आएँ ख़ुदा जाने सितारो तुम तो सो जाओ
हुए हैं हम तो दीवाने सितारो तुम तो सो जाओ
कहाँ तक मुझ से हमदर्दी कहाँ तक मेरी ग़म-ख़्वारी
हज़ारों ग़म हैं अनजाने सितारो तुम तो सो जाओ
गुज़र जाएगी ग़म की रात उम्मीदो तो जाग उट्ठो
सँभल जाएँगे दीवाने सितारो तुम तो सो जाओ
हमें रूदाद-ए-हस्ती रात भर में ख़त्म करनी है
न छेड़ो और अफ़्साने सितारो तुम तो सो जाओ
हमारे दीदा-ए-बे-ख़्वाब को तस्कीन क्या दोगे
हमें लूटा है दुनिया ने सितारो तुम तो सो जाओ
उसे 'क़ाबिल' की चश्म-ए-नम से देरीना तअ'ल्लुक़ है
शब-ए-ग़म तुम को क्या जाने सितारो तुम तो सो जाओ
ग़ज़ल
वो कब आएँ ख़ुदा जाने सितारो तुम तो सो जाओ
क़ाबिल अजमेरी