वो इस जहान से हैरान जाया करते हैं
जो अपने आप को पहचान जाया करते हैं
जो सिर्फ़ एक ठिकाने से तेरे वाक़िफ़ हैं
तिरी गली में वो नादान जाया करते हैं
किसी के होने न होने के बारे में अक्सर
अकेले-पन में बड़े ध्यान जाया करते हैं
मैं अब कभी न दिखूँगा किसी के मरने से
कि शब गुज़ार के मेहमान जाया करते हैं
जो अस्ल बात है उस को छुपाने की ख़ातिर
कभी कभी ग़लती मान जाया करते हैं
ये बात आते हुए सोचता नहीं कोई
कि सब यहाँ से परेशान जाया करते हैं
'जमाल' हम तो तुझे ये भी अब नहीं कहते
कभी किसी का कहा मान जाया करते हैं

ग़ज़ल
वो इस जहान से हैरान जाया करते हैं
जमाल एहसानी