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वही लड़की वही लड़का पुराना | शाही शायरी
wahi laDki wahi laDka purana

ग़ज़ल

वही लड़की वही लड़का पुराना

ज़ाहिद फ़ारानी

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वही लड़की वही लड़का पुराना
कहीं होता है ये क़िस्सा पुराना

अकेले-पन में अब इक ताज़गी है
हुआ जाता है हर रिश्ता पुराना

जहान-ए-अक़्ल का इंसान जाहिल
नया जुग़राफ़िया नक़्शा पुराना

जहाँ देखो वही फ़र्सूदा मंज़र
जिधर निकलो वही रस्ता पुराना

नया शाइ'र भी उलझा है ज़बाँ में
ये उस्तादों से भी निकला पुराना

न उक्ताओ जो बे-पर की उड़ाए
कि 'ज़ाहिद' यार है अपना पुराना