वाक़ई कोई अगर मौजूद है
फिर तो ये दुख उम्र-भर मौजूद है
बीच का रस्ता नहीं बाक़ी कोई
या ख़ुदा है या बशर मौजूद है
उस को पाने की तवक़्क़ो' है बहुत
जब तलक ये चश्म-ए-तर मौजूद है
उस के मिलने ही से पहले जाने क्यूँ
उस को खो देने का डर मौजूद है
कोई मंज़िल कैसे तन्हा सर करें
हम-सफ़र में हम-सफ़र मौजूद है
आदत-ए-ख़ाना-ख़राबी है 'जमाल'
वर्ना अच्छा-ख़ासा घर मौजूद है
ग़ज़ल
वाक़ई कोई अगर मौजूद है
जमाल एहसानी