वादे की जो साअत दम-ए-कुश्तन है हमारा
जो दोस्त हमारा है सो दुश्मन है हमारा
ये काह-ए-रुबा से भी हैं कम ऐ कशिश-ए-दिल
मज़कूर कुछ ऐसा पस-ए-चिलमन है हमारा
अफ़्सोस मू-ए-शम-ए-शब-ए-वस्ल की मानिंद
जो क़हक़हा शादी है सो शेवन है हमारा
महताब का क्या रंग किया दूद-ए-फ़ुग़ाँ ने
अहवाल शब-ए-तार से रौशन है हमारा
देता नहीं उस ज़ोफ़ पे भी जोश-ए-जुनूँ चैन
हर रेग-ए-रवाँ दश्त में तौसन है हमारा
तफ़रीह न क्यूँकर हो हवा आ नहीं सकती
गोया दर ओ दीवार नशेमन है हमारा
गर पास है लोगों का तो आ जा कि क़लक़ से
है लाश कहीं और कहीं मदफ़न है हमारा
जज़्ब-ए-दिल उसे खींच के लाए तो कहाँ लाए
जो ग़ैर का घर है वही मस्कन है हमारा
बुत-ख़ाने से काबे को चले रश्क के मारे
'मोमिन' ख़िज़्र-ए-राह बरहमन है हमारा
ग़ज़ल
वादे की जो साअत दम-ए-कुश्तन है हमारा
मोमिन ख़ाँ मोमिन