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उस ने माँगा जो दिल दिए ही बनी | शाही शायरी
usne manga jo dil diye hi bani

ग़ज़ल

उस ने माँगा जो दिल दिए ही बनी

शरफ़ मुजद्दिदी

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उस ने माँगा जो दिल दिए ही बनी
जो न करना था वो किए ही बनी

इस अदा से दिल उस ने फेरा आज
कि मुझे दौड़ कर लिए ही बनी

तेरे हम-राह ग़ैर क्यूँ आया
जिस की ख़ातिर मुझे किए ही बनी

देखा अंजाम इश्क़ का ऐ दिल
जान आख़िर हमें दिए ही बनी

दस्त-ए-नाज़ुक से उस ने जाम दिया
आज मुझ को 'शरफ़' पिए ही बनी