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उन से नयन मिला के देखो | शाही शायरी
un se nayan mila ke dekho

ग़ज़ल

उन से नयन मिला के देखो

मुनीर नियाज़ी

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उन से नयन मिला के देखो
ये धोका भी खा के देखो

दूरी में क्या भेद छुपा है
इस का खोज लगा के देखो

किसी अकेली शाम की चुप में
गीत पुराने गा के देखो

आज की रात बहुत काली है
सोच के दीप जला के देखो

दिल का घर सुनसान पड़ा है
दुख की धूम मचा के देखो

जाग जाग कर उम्र कटी है
नींद के द्वारे जा के देखो