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उन के आने पे दिल फ़िदा होगा | शाही शायरी
un ke aane pe dil fida hoga

ग़ज़ल

उन के आने पे दिल फ़िदा होगा

हंस राज सचदेव 'हज़ीं'

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उन के आने पे दिल फ़िदा होगा
उन के जाने पे जाने क्या होगा

एक मंज़िल है गो मिरी उन की
रस्ता लेकिन जुदा जुदा होगा

उन के लब पर कभी तो भूले से
नाम मेरा भी आ गया होगा

तौबा कर ली भरी जवानी में
कोई मुझ सा भी पारसा होगा

मेरी कश्ती को नाख़ुदा का नहीं
तुंद-मौजों का आसरा होगा

भूल जाने की ठान ली है मगर
कब ख़यालों से वो जुदा होगा

आज मक़्तल में वक़्त-ए-क़त्ल 'हज़ीं'
शोख़ क़ातिल भी रो दिया होगा