उग रहा है दर-ओ-दीवार से सब्ज़ा 'ग़ालिब'
हम बयाबाँ में हैं और घर में बहार आई है
ग़ज़ल
उग रहा है दर-ओ-दीवार पे सब्ज़ा 'ग़ालिब'
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
मिर्ज़ा ग़ालिब
उग रहा है दर-ओ-दीवार से सब्ज़ा 'ग़ालिब'
हम बयाबाँ में हैं और घर में बहार आई है