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jinhen main DhunDhta tha aasmanon mein zaminon mein wo nikle mere zulmat-KHana-e-dil ke makinon mein
ग़ज़ल
मिर्ज़ा ग़ालिब
उग रहा है दर-ओ-दीवार से सब्ज़ा 'ग़ालिब' हम बयाबाँ में हैं और घर में बहार आई है