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तुम से देखे न गए हम से दिखाए न गए | शाही शायरी
tum se dekhe na gae humse dikhae na gae

ग़ज़ल

तुम से देखे न गए हम से दिखाए न गए

जावेद कमाल रामपुरी

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तुम से देखे न गए हम से दिखाए न गए
हाए वो ज़ख़्म जो इस दिल से छुपाए न गए

कर लिया यूँ तो हर इक रंज गवारा लेकिन
आज तक दिल से तिरी याद के साए न गए

हम ने चाहा भी नहीं हम ने भुलाया भी नहीं
दिल ने चाहा भी मगर दिल से भुलाए न गए

राह पर राह निकलती गई कूचे से तिरे
वर्ना इस राह पे हम आप से आए न गए

नक़्श-ए-पा बन के जहाँ मिट भी गया नक़्श-ए-उम्मीद
हम उसी राह पे बैठे हैं उठाए न गए