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तुम नैन के दोनों पट मेरे लिए वा रखना | शाही शायरी
tum nain ke donon paT mere liye wa rakhna

ग़ज़ल

तुम नैन के दोनों पट मेरे लिए वा रखना

नज़ीर बनारसी

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तुम नैन के दोनों पट मेरे लिए वा रखना
मैं जल्द ही लौटूँगा दरवाज़ा खुला रखना

जो कहना हो कह डालो हो जाएगा जी हल्का
जो बात है कहने की दिल में उसे क्या रखना

है ज़िंदा-दिली दौलत सब ख़र्च न कर देना
शायद कभी काम आए थोड़ी सी बचा रखना

हल्की सी कमी करना कल कमरे की ज़ीनत में
तस्वीर हटा देना आइना लगा रखना

सामान-ए-सफ़र प्यारे क्या साथ न लूँ क्या लूँ
इक शब का मुसाफ़िर हूँ क्या छोड़ना क्या रखना

क़िस्तों में 'नज़ीर' उन से हाल-ए-ग़म-ए-दिल कहना
कुछ आज सुना देना कुछ कल पे उठा रखना