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तुझे खो कर मोहब्बत को ज़ियादा कर लिया मैं ने | शाही शायरी
tujhe kho kar mohabbat ko ziyaada kar liya maine

ग़ज़ल

तुझे खो कर मोहब्बत को ज़ियादा कर लिया मैं ने

सज्जाद बलूच

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तुझे खो कर मोहब्बत को ज़ियादा कर लिया मैं ने
ये किस हैरत में आईना कुशादा कर लिया मैं ने

मुझे पेचीदा जज़्बों की कहानी नज़्म करना थी
सो जितना हो सका उस्लूब सादा कर लिया मैं ने

मोहब्बत का सुना था ज़ात की तकमील करती है
मगर इस आरज़ू में ख़ुद को आधा कर लिया मैं ने

शिकस्त-ए-ख़्वाब पर ही ख़्वाब की बुनियाद रखना थी
दर-ए-इम्कान फिर से ईस्तादा कर लिया मैं ने

नई रुत में मोहब्बत का इआदा चाहता था वो
पुराने तजरबे से इस्तिफ़ादा कर लिया मैं ने

सर-ए-साहिल मुझे पीछे से अब आवाज़ मत देना
यहाँ से पार जाने का इरादा कर लिया मैं ने