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तिरी तस्वीर उठाई हुई है | शाही शायरी
teri taswir uThai hui hai

ग़ज़ल

तिरी तस्वीर उठाई हुई है

ज़ुबैर क़ैसर

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तिरी तस्वीर उठाई हुई है
रौशनी ख़्वाब में आई हुई है

मैं ने इस दश्त को छाना हुआ है
मैं ने ये ख़ाक उड़ाई हुई है

दोस्त हैं सारे ज़माने वाले
मैं ने दुश्मन से बनाई हुई है

तुझ से उम्मीद वफ़ाओं की मुझे
आग पानी में लगाई हुई है

राज़ की बात बताऊँ मैं तुम्हें
बात ये मैं ने उड़ाई हुई है

आज सालिस मैं बना हूँ अपना
कल बड़ी ख़ुद से लड़ाई हुई है

इश्क़ में नाम कमाया हुआ है
मैं ने बदनामी कमाई हुई है

ये मिरा अपना तख़य्युल है 'ज़ुबैर'
ये ग़ज़ल सब ने उठाई हुई है