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तिरे वस्ल पे तेरी क़ुर्बत पे ला'नत | शाही शायरी
tere wasl pe teri qurbat pe lanat

ग़ज़ल

तिरे वस्ल पे तेरी क़ुर्बत पे ला'नत

अली इमरान

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तिरे वस्ल पे तेरी क़ुर्बत पे ला'नत
जो तुझ से हुई उस मोहब्बत पे ला'नत

तिरी फूल सी सारी बातों पे थू थू
तिरी भोली-भाली सी सूरत पे ला'नत

हर इक ख़्वाब उम्मीद ख़्वाहिश पे तुफ़ है
हर इक आरज़ू दिल की हसरत पे ला'नत

तुझे दिल की इस नौकरी ने दिया क्या
फ़क़त दर्द जा ऐसी उजरत पे ला'नत