तेरी तस्कीं का सबब कौन-ओ-मकाँ है कि नहीं
रूह-परवर ये जहान-ए-गुज़राँ है कि नहीं
दिन की ज़ौ-ताबियाँ तारीक फ़ज़ाएँ शब की
पिछली रातों के धुँदलके से अयाँ है कि नहीं
नारा-ए-दार-ओ-रसन हादिसा-ए-कौन-ओ-मकाँ
ख़ुफ़्ता-जानों के लिए ख़्वाब-ए-गिराँ है कि नहीं
ख़ुद ख़म-ओ-पेच तुझे राह के बतला देंगे
तेरी ठोकर में तिरा सूद-ओ-ज़ियाँ है कि नहीं
तेरी ज़ुल्फ़ें तिरा रुख़ तेरी जबीं तेरी नज़र
ये चमन आईना-दीदा-वराँ है कि नहीं
इस नज़र से वो मुझे देखते रहते हैं 'कलीम'
गर्म ख़ूँ गर्म नफ़स गर्म-ए-फ़ुग़ाँ है कि नहीं

ग़ज़ल
तेरी तस्कीं का सबब कौन-ओ-मकाँ है कि नहीं
कलीम अहमदाबादी