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तेरे सिवा भी कोई मुझे याद आने वाला था | शाही शायरी
tere siwa bhi koi mujhe yaad aane wala tha

ग़ज़ल

तेरे सिवा भी कोई मुझे याद आने वाला था

शहरयार

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तेरे सिवा भी कोई मुझे याद आने वाला था
मैं वर्ना यूँ हिज्र से कब घबराने वाला था

जान-बूझ कर समझ कर मैं ने भुला दिया
हर वो क़िस्सा जो दिल को बहलाने वाला था

मुझ को नदामत बस इस पर है लोग बहुत ख़ुश हैं
इस लम्हे को खो कर जो पछताने वाला था

ये तो ख़ैर हुई दरिया ने रुख़ तब्दील किया
मेरा शहर भी उस की ज़द में आने वाला था

इक इक कर के सब रस्ते कितने सुनसान हुए
याद आया मैं लम्बे सफ़र पर जाने वाला था