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तेरे आने का इंतिज़ार रहा | शाही शायरी
tere aane ka intizar raha

ग़ज़ल

तेरे आने का इंतिज़ार रहा

रसा चुग़ताई

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तेरे आने का इंतिज़ार रहा
उम्र भर मौसम-ए-बहार रहा

पा-ब-ज़ंजीर ज़ुल्फ़-ए-यार रही
दिल असीर-ए-ख़याल-ए-यार रहा

साथ अपने ग़मों की धूप रही
साथ इक सर्व-ए-साया-दार रहा

मैं परेशान-हाल आशुफ़्ता
सूरत-ए-रंग-ए-रोज़गार रहा

आइना आइना रहा फिर भी
लाख दर-पर्दा-ए-गुबार रहा

कब हवाएँ तह-ए-कमंद आईं
कब निगाहों पे इख़्तियार रहा

तुझ से मिलने को बे-क़रार था दिल
तुझ से मिल कर भी बे-क़रार रहा