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तमन्ना दिल में घर करती बहुत है | शाही शायरी
tamanna dil mein ghar karti bahut hai

ग़ज़ल

तमन्ना दिल में घर करती बहुत है

सुहैल अहमद ज़ैदी

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तमन्ना दिल में घर करती बहुत है
हवा इस दश्त में चलती बहुत है

जमाना रंग इस दुनिया से सीखे
कि है तो कुछ नहीं बनती बहुत है

उसे इक पल कभी रहने न देना
फफूँदी क़ल्ब पर जमती बहुत है

कि सारी उम्र अँगारे चुने हैं
हथेली हाथ की जलती बहुत है

'सुहैल-अहमद' समझ कर सर्फ़ करना
ज़रा सी ज़िंदगी लगती बहुत है