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तमाम रास्ता फूलों भरा तुम्हारा था | शाही शायरी
tamam rasta phulon bhara tumhaara tha

ग़ज़ल

तमाम रास्ता फूलों भरा तुम्हारा था

ज़ुबैर रिज़वी

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तमाम रास्ता फूलों भरा तुम्हारा था
हमारी राह में बस नक़्श-ए-पा हमारा था

उस एक साअत-ए-शब का ख़ुमार याद करें
बदन के लम्स को जब हम ने मिल के बाँटा था

वो एक लम्हा जिसे तुम ने छू के छोड़ दिया
उस एक लम्हे में कैफ़-ए-विसाल सारा था

फिर इस के ब'अद निगाहों ने कुछ नहीं देखा
न जाने कौन था जो सामने से गुज़रा था

अब उस के नाम पे दिल ने धड़कना छोड़ दिया
वो जिस को हम ने कभी बे-हिसाब चाहा था

वो जिस को देखा था अक्सर हुजूम-ए-याराँ में
वो एक शख़्स बहुत उन दिनों अकेला था

तमाम सौत-ओ-सदा चुप से हो गए थे 'ज़ुबैर'
वो जब सुकूत के पत्थर पे गिर के टूटा था