EN اردو
ताज़ा-दम जवानी रख | शाही शायरी
taza-dam jawani rakh

ग़ज़ल

ताज़ा-दम जवानी रख

अब्दुस्समद ’तपिश’

;

ताज़ा-दम जवानी रख
ख़ून में कुछ तुग़्यानी रख

वक़्त के दामन में कोई
अपनी एक कहानी रख

दोस्त बनाने की ख़ातिर
सूरत सब पहचानी रख

तेरे दिल तक आऊँ मैं
इतनी तो आसानी रख

मेरे घर के आँगन में
कोई शाम सुहानी रख

पल-दो-पल की ख़ातिर ही
साँसों की अर्ज़ानी रख

फ़न का अपने तू भी 'तपिश'
नक़्श कोई ला-सानी रख