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सुर्मा-ए-मुफ़्त-ए-नज़र हूँ मिरी क़ीमत ये है | शाही शायरी
surma-e-muft-e-nazar hun meri qimat ye hai

ग़ज़ल

सुर्मा-ए-मुफ़्त-ए-नज़र हूँ मिरी क़ीमत ये है

मिर्ज़ा ग़ालिब

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सुर्मा-ए-मुफ़्त-ए-नज़र हूँ मिरी क़ीमत ये है
कि रहे चश्म-ए-ख़रीदार पे एहसाँ मेरा

रुख़्सत-ए-नाला मुझे दे कि मबादा ज़ालिम
तेरे चेहरे से हो ज़ाहिर ग़म-ए-पिन्हाँ मेरा

ख़ल्वत-ए-आबला-ए-पा में है जौलाँ मेरा
ख़ूँ है दिल तंगी-ए-वहशत से बयाबाँ मेरा

हसरत-ए-नश्शा-ए-वहशत न ब-सइ-ए-दिल है
अर्ज़-ए-ख़म्याज़ा-ए-मजनूँ है गरेबाँ मेरा

फ़हम ज़ंजीरी-ए-बे-रब्ती-ए-दिल है या-रब
किस ज़बाँ में है लक़ब ख़्वाब-ए-परेशाँ मेरा