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सुहुलत हो अज़िय्यत हो तुम्हारे साथ रहना है | शाही शायरी
suhulat ho aziyyat ho tumhaare sath rahna hai

ग़ज़ल

सुहुलत हो अज़िय्यत हो तुम्हारे साथ रहना है

नदीम भाभा

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सुहुलत हो अज़िय्यत हो तुम्हारे साथ रहना है
कि अब कोई भी सूरत हो तुम्हारे साथ रहना है

हमारे राब्ते ही इस क़दर हैं, तुम हो और बस तुम
तुम्हें सब से मोहब्बत हो तुम्हारे साथ रहना है

और अब घर-बार जब हम छोड़ कर आ ही चुके हैं तो
तुम्हें जितनी भी नफ़रत हो तुम्हारे साथ रहना है

हमारे पाँव में कीलें और आँखों से लहू टपके
हमारी जो भी हालत हो तुम्हारे साथ रहना है

तुम्हें हर सुब्ह और हर शाम है बस देखते रहना
तुम इतने ख़ूबसूरत हो तुम्हारे साथ रहना है