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सोज़ से साज़ किया चाहिए अब | शाही शायरी
soz se saz kiya chahiye ab

ग़ज़ल

सोज़ से साज़ किया चाहिए अब

किशन कुमार वक़ार

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सोज़ से साज़ किया चाहिए अब
नय से आवाज़ किया चाहिए अब

खा के तीर-ए-निगह-ए-नाज़ उस को
क़द्र-अंदाज़ किया चाहिए अब

जिस में जी जिस्म में आए ऐ जाँ
हाँ वो एजाज़ किया चाहिए अब

दिल में आता है तिरे ग़म को यार
महरम-ए-राज़ किया चाहिए अब

कान तक उस के तो पहुँचे यकबार
ऐसी आवाज़ किया चाहिए अब

हुस्न का वस्फ़ तिरे सूरत-ए-ख़त
ख़ामा-पर्वाज़ किया चाहिए अब

रोग़न-ए-क़ाज़ मले वस्फ़-ए-नाज़
ताज़ा पर्दाज़ किया चाहिए अब

ता न हो ताइर-ए-जाँ सैद कहीं
चश्म-ए-दिल-बाज़ किया चाहिए अब

ताइर-ए-फ़िक्र को सुस्ती से 'वक़ार'
तेज़ पर्वाज़ किया चाहिए अब